वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर पूरे देश में करीब डेढ़ माह से लॉकडाउन चल रहा है। इस लॉकडाउन के कारण लोगों की रोजी रोजगार पर ताले लग गए हैं। चार पैसे की आमदनी कर परिवार का पोषण करने वालों पर मानों आफत आन पड़ी है। हर कोई बस फिराक में है कि कहीं कोई रोजगार की व्यवस्था हो जाए। रोजगार बंद होने से जहां लोग चितित हैं तो कुछ रात.दिन मेहनत कर अपने परिवार का पोषण करने में लगे हैं। जरूरत के हिसाब से लोग अपने कार्यों को छोड़कर दूसरे कार्यो में लगे हैं। कोरोना संकट काल में जो लोग अब तक शहर में काम कर रहे थे वह अपने गांव लौट चुके हैं और अपने गांव की मिट्टी में रोजी रोटी की तलाश कर ली है।
ऐसा ही एक परिवार का लीलाशंकर नामा का है। जिनका लॉकडाउन के चलते जजावर कस्बे में फिर से परिवार सहित आना हुआ है। लीलाशंकर अपनी पत्नी सहित दो पुत्रियों व एक पुत्र के साथ अपने दो भाइयों के परिवार के बीच हंसी खुशी से रहे हैं।लीलाशंकर ने बताया कि 28 साल पहले अपनी पत्नी के साथ बाहर रोजी रोटी की तलाश में निकले थे। धीरे धीरे विभिन्न मेलों में कपड़े की दुकान लगाने के बाद स्थायी रूप से कपड़े की दुकान लगा ली।अच्छा खासा रोजगार चल रहा था।लेकिन कोरोना से हुए लॉकडाउन के बाद जजावर आ गए। अब यहीं कपड़े की दुकान लगाकर परिवार के साथ पैतृक घर में रह रहे हैं। लीला शंकर की पत्नी सरोज ने बताया कि सास, दो देवर . देवरानी बच्चों सहित पूरा परिवार एक साथ रहता है। घर में कामकाज में एक साथ हाथ बटाते हैं।सभी ख़ुशी ख़ुशी एक दूसरे का सहयोग करते हैं।पूरा परिवार के एक साथ देखने पर मन को जो शांति मिलती है। उसको शब्दों में बया नहीं किया जा सकता। बच्चे भी घर पर ही लूडो आदि खेल में व्यस्त रहते हैं।